Saturday 21 September 2013



विस्थापितों को गुमराह कर रही सरकार
21 सितंबर 2013 जम्मू। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। पनुन कश्मीर के प्रधान अश्विनी कुमार चुरंगू का कहना है कि कश्मीर वापस लौटने पर बीस लाख का पुनर्वास पैकेज की जो बात हो रही है और कश्मीरी पंडित विस्थापितों को असल मुद्दे से भटकाने की साजिश और विस्थापित इससे गुमराह नहीं होंगे। चुरंगू का कहना है कि केंद्रीय गृह सचिव के साथ वीरवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में पनुन कश्मीर की तरफ से उन्होंने साफ कर दिया कि रोजगार पैकेज या अन्य कोई पैकेज को कश्मीरी पंडित विस्थापितों की समस्या का स्थायी हल नहीं माना जा सकता। उनका कहना है कि कश्मीरी पंडित विस्थापितों की समस्या राजनीतिक है और इसका स्थायी हल ही होना चाहिए। बीस लाख के पुनर्वास पैकेज के साथ घाटी वापसी की शर्त गुमराह करने वाली है और सरकार इससे कश्मीरी पंडित विस्थापितों में गलत धारणा पैदा करने की कोशिश कर रही है। पनुन कश्मीर इसकी निंदा करता है और कश्मीरी पंडित विस्थापितों की समस्या का राजनीतिक हल करने पर जोर देता है। जगती टेनामेंट कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता का कहना है कि सरकारी कश्मीरी पंडित विस्थापितों के साथ आंख मिचौनी कर रही है। कश्मीरी पंडित विस्थापितों को अगर घाटी में वापिस भेजना है तो वहां पर किसी सुरक्षित जगह पर सभी विस्थापितों को एक साथ बसाने या दो से तीन सेटेलाइट कालोनी बनाई जा सकती है। मौजूदा समय में हो रही बातें हवा हवाई है।
Source: http://www.amarujala.com

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